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हरिहरपुरी कृत सवैया




हरिहरपुरी कृत सवैया


मधु कानन में रसराज छिपे, बजती बसुरी कहती चलती।


सब नेह करें सब राज रजें, सब में तब प्रीति बहा करती।


सब सत्व बनें सब सत्य रचें, रसना अमि हास बनी चरती।


सब त्याग करें प्रियवाद पढ़ें,सखि की अनुरक्ति तभी बढ़ती।





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2 Comments

Varsha_Upadhyay

03-Jan-2023 08:22 PM

शानदार

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Muskan khan

01-Jan-2023 07:23 PM

Superb

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