डॉ. रामबली मिश्र
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हरिहरपुरी कृत सवैया
मधु कानन में रसराज छिपे, बजती बसुरी कहती चलती।
सब नेह करें सब राज रजें, सब में तब प्रीति बहा करती।
सब सत्व बनें सब सत्य रचें, रसना अमि हास बनी चरती।
सब त्याग करें प्रियवाद पढ़ें,सखि की अनुरक्ति तभी बढ़ती।
Varsha_Upadhyay
03-Jan-2023 08:22 PM
शानदार
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Muskan khan
01-Jan-2023 07:23 PM
Superb
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Varsha_Upadhyay
03-Jan-2023 08:22 PM
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Muskan khan
01-Jan-2023 07:23 PM
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